हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या कहते हैं। हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान, दान तथा अन्य धार्मिक कार्य किये जाते हैं। हर अमावस्या की तरह चैत्र अमावस्या के दिन पूर्वजों के पूजन का विधान है।
चैत्र अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म
चैत्र अमावस्या पर व्रत रखकर कई धार्मिक कार्य किये जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत अवश्य रखना चाहिए। चैत्र अमावस्या पर किये जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-
● इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
● पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
● इस दिन यथाशक्ति अन्न, गौ, स्वर्ण और वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
● पितरों के श्राद्ध के बाद किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
● अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक और शनि देव को नीले पुष्प, काले तिल और सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।
चैत्र अमावस्या का महत्व
चैत्र अमावस्या पर कई धार्मिक कार्य किये जाते हैं। ऐसी मान्यता है की पितरो को मोक्ष की प्राप्ति और सद्गति के लिए अमावस्या का व्रत करना चाहिए। इस व्रत को करने से न सिर्फ पितरों को मोक्ष एवं शांति मिलती है बल्कि व्रतधारी को अमोघ फल भी मिलता है।
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