मेष राशि के जातकों के लिए ग्रह दशा, रत्न और उनके प्रभाव



मेष राशि के जातकों के लिए ग्रह दशा, रत्न और उनके प्रभाव

परिचय


मेष राशि (Aries) का स्वामी ग्रह मंगल (Mars) होता है, जो साहस, ऊर्जा, आत्मविश्वास और प्रतिस्पर्धात्मक भावना का प्रतीक है। यह राशि अग्नि तत्व की होती है और इसके जातक आमतौर पर उत्साही, निडर और नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण होते हैं। लेकिन ग्रहों की दशा के अनुसार इनकी ऊर्जा सही दिशा में जाए या विपरीत प्रभाव डाले, यह इनकी कुंडली पर निर्भर करता है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि विभिन्न ग्रह दशाओं में मेष राशि के जातकों को कौन-सा रत्न धारण करना चाहिए और इसके प्रभाव क्या होंगे।





1. प्रमुख ग्रह और उनकी दशाएँ मेष राशि के लिए




मेष राशि के जातकों पर मुख्य रूप से मंगल, सूर्य, गुरु, शनि, राहु और केतु का प्रभाव रहता है। प्रत्येक ग्रह की दशा अलग-अलग समय पर जीवन में आती है और उसके अनुरूप ही रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।




(1) मंगल की दशा (Mars Mahadasha) – कोरल (Moonga) पहनना




मंगल का प्रभाव:




मंगल मेष राशि का स्वामी है और दशा में इसकी स्थिति शुभ हो तो यह साहस, आत्मविश्वास, पराक्रम और नेतृत्व क्षमता बढ़ाता है।




यदि कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो तो यह गुस्सा, आक्रामकता, दुर्घटनाएँ और कानूनी समस्याएँ ला सकता है।






रत्न: लाल मूंगा (Red Coral)


कैसे पहनें:




सोने या तांबे की अंगूठी में दाहिने हाथ की अनामिका (रिंग फिंगर) में मंगलवार के दिन धारण करें।




मंत्र: “ॐ अं अंगारकाय नमः” का 108 बार जाप करें।






परिणाम:


✔ साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।


✔ रक्त संचार और शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।


✔ नेतृत्व क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होता है।


✘ गलत तरीके से पहनने पर आक्रामकता और अधीरता बढ़ सकती है।






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(2) सूर्य की दशा (Sun Mahadasha) – माणिक्य (Ruby) पहनना




सूर्य का प्रभाव:




सूर्य आत्मा, आत्म-सम्मान और प्रतिष्ठा का कारक है।




यदि कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति प्रभावशाली और उच्च पदों पर आसीन होता है।




सूर्य कमजोर हो तो आत्मविश्वास की कमी, निर्णय लेने में असमंजस और अपमान का भय बना रहता है।






रत्न: माणिक्य (Ruby)


कैसे पहनें:




सोने की अंगूठी में रविवार के दिन सुबह अनामिका उंगली में धारण करें।




मंत्र: “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” का 108 बार जाप करें।






परिणाम:


✔ आत्मविश्वास और सम्मान में वृद्धि होती है।


✔ नेतृत्व क्षमता में सुधार होता है।


✔ सरकारी कार्यों और नौकरी में लाभ मिलता है।


✘ अहंकार और आत्मकेन्द्रित सोच बढ़ सकती है।






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(3) गुरु की दशा (Jupiter Mahadasha) – पुखराज (Yellow Sapphire) पहनना




गुरु का प्रभाव:




गुरु ज्ञान, शिक्षा, धर्म और भाग्य का कारक है।




शुभ स्थिति में यह समृद्धि, उच्च शिक्षा, दार्शनिक सोच और आध्यात्मिक उन्नति देता है।




नीच स्थिति में होने पर गलत निर्णय, मानसिक भ्रम और अवसरों का नुकसान होता है।






रत्न: पुखराज (Yellow Sapphire)


कैसे पहनें:




सोने की अंगूठी में गुरुवार को तर्जनी उंगली में धारण करें।




मंत्र: “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का 108 बार जाप करें।






परिणाम:


✔ भाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।


✔ शिक्षा और आध्यात्मिक उन्नति होती है।


✔ विवाह और संतान सुख मिलता है।


✘ अधिक दया भाव से नुकसान उठाने की संभावना होती है।






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(4) शनि की दशा (Saturn Mahadasha) – नीलम (Blue Sapphire) पहनना




शनि का प्रभाव:




शनि कर्म, अनुशासन, धैर्य और न्याय का प्रतीक है।




शुभ स्थिति में मेहनत का पूरा फल देता है, परंतु अशुभ स्थिति में देरी, बाधाएँ और संघर्ष बढ़ता है।






रत्न: नीलम (Blue Sapphire) – बहुत सावधानी से धारण करें


कैसे पहनें:




शनिवार को मध्यमा (मिडिल फिंगर) में पंचधातु या चांदी में धारण करें।




पहले 3 दिन पहनकर प्रभाव का निरीक्षण करें।




मंत्र: “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें।






परिणाम:


✔ मेहनत का उचित फल मिलता है।


✔ व्यापार और करियर में उन्नति होती है।


✔ कानूनी मामलों और बाधाओं में राहत मिलती है।


✘ यदि अशुभ हो तो कष्ट, मानसिक तनाव और दुर्घटनाएँ बढ़ सकती हैं।






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(5) राहु की दशा (Rahu Mahadasha) – गोमेद (Hessonite) पहनना




राहु का प्रभाव:




यह भ्रम, अचानक बदलाव, विदेश यात्रा और छुपे हुए भय का कारक है।




शुभ दशा में यह रहस्यमयी ज्ञान और सफलता दिलाता है, जबकि अशुभ दशा में धोखा, भय और मानसिक अशांति देता है।






रत्न: गोमेद (Hessonite)


कैसे पहनें:




शनिवार या बुधवार को चांदी में मध्यमा उंगली में धारण करें।




मंत्र: “ॐ राहवे नमः” का 108 बार जाप करें।






परिणाम:


✔ मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।


✔ नकारात्मक ऊर्जा और भ्रम से बचाव होता है।


✔ अचानक सफलता और धन लाभ हो सकता है।


✘ यदि अनुकूल न हो तो भय, तनाव और अस्थिरता बढ़ सकती है।






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(6) केतु की दशा (Ketu Mahadasha) – लहसुनिया (Cat’s Eye) पहनना




केतु का प्रभाव:




केतु मोक्ष, रहस्यवाद और आध्यात्मिकता से जुड़ा ग्रह है।




यदि दशा अनुकूल हो तो व्यक्ति आध्यात्मिक ऊँचाइयों को छूता है, परंतु अशुभ दशा में मानसिक अस्थिरता और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।






रत्न: लहसुनिया (Cat’s Eye)


कैसे पहनें:




मंगलवार को चांदी में छोटी उंगली में धारण करें।




मंत्र: “ॐ केतवे नमः” का 108 बार जाप करें।






परिणाम:


✔ मानसिक स्पष्टता और आत्मज्ञान बढ़ता है।


✔ शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।


✔ आध्यात्मिक उन्नति होती है।


✘ गलत पहनने पर मानसिक असंतुलन और भ्रम की स्थिति बन सकती है।






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निष्कर्ष





मेष राशि के जातकों को रत्न धारण करने से पहले कुंडली का विश्लेषण कर लेना चाहिए। मंगल के लिए मूंगा, सूर्य के लिए माणिक्य, गुरु के लिए पुखराज, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमे


द और केतु के लिए लहसुनिया सही होते हैं। लेकिन किसी भी रत्न को धारण करने से पहले योग्य ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि रत्न उनके लिए शुभ प्रभाव लाएगा।


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