कन्या राशि के जातकों के लिए ग्रह दशा और रत्न धारण

  





कन्या राशि के जातकों के लिए ग्रह दशा और रत्न धारण: एक विस्तृत मार्गदर्शिका



भूमिका:


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रत्न धारण करना किसी व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। विशेष रूप से जब कोई व्यक्ति किसी ग्रह की महादशा या अंतरदशा से गुजर रहा होता है, तो उपयुक्त रत्न पहनने से सकारात्मक प्रभाव मिल सकते हैं। इस लेख में हम कन्या राशि (Virgo) के जातकों के लिए विभिन्न ग्रहों की दशा के अनुसार कौन-सा रत्न धारण करना चाहिए और उनके प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।






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कन्या राशि का स्वभाव और विशेषताएँ




कन्या राशि का स्वामी बुध ग्रह होता है, जो बुद्धिमत्ता, तर्कशक्ति, संवाद कौशल और व्यावहारिकता का प्रतिनिधित्व करता है। इस राशि के जातक मेहनती, विश्लेषणात्मक, और संगठित होते हैं। इन्हें अक्सर मानसिक तनाव, आत्म-संदेह और अति-विश्लेषण की समस्या हो सकती है। सही रत्न पहनने से इनकी ऊर्जा संतुलित होती है और जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।






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1. सूर्य की दशा (सूर्य महादशा/अंतरदशा) में कौन सा रत्न धारण करें?




रत्न: माणिक्य (Ruby)




धातु: सोना या तांबा




उंगली: अनामिका (रिंग फिंगर)




दिन: रविवार




मंत्र: "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"






प्रभाव:




नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास बढ़ता है।




सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है।




हड्डियों और हृदय संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।




उच्च रक्तचाप और गुस्से को नियंत्रित करने में मदद करता है।






कब न पहनें?




यदि सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो माणिक्य पहनने से बचना चाहिए।






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2. चंद्र की दशा में कौन सा रत्न धारण करें?




रत्न: मोती (Pearl)




धातु: चांदी




उंगली: छोटी उंगली (लिटिल फिंगर)




दिन: सोमवार




मंत्र: "ॐ सोम सोमाय नमः"






प्रभाव:




मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता मिलती है।




आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ता है।




नींद की समस्याओं में सुधार होता है।




माता से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।






कब न पहनें?




यदि चंद्र कुंडली में कमजोर न हो या सूर्य या राहु के प्रभाव में हो तो मोती पहनने से बचें।






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3. मंगल की दशा में कौन सा रत्न धारण करें?




रत्न: मूंगा (Red Coral)




धातु: तांबा या चांदी




उंगली: अनामिका (रिंग फिंगर)




दिन: मंगलवार




मंत्र: "ॐ अं अंगारकाय नमः"






प्रभाव:




साहस और आत्मबल बढ़ता है।




रक्त संबंधी रोगों से राहत मिलती है।




विवाह और संतान सुख में सुधार होता है।




संघर्ष और दुर्घटनाओं से बचाव करता है।






कब न पहनें?




यदि मंगल 6, 8, 12वें भाव में हो तो मूंगा पहनने से बचना चाहिए।






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4. बुध की दशा में कौन सा रत्न धारण करें?




रत्न: पन्ना (Emerald)




धातु: सोना या चांदी




उंगली: छोटी उंगली (लिटिल फिंगर)




दिन: बुधवार




मंत्र: "ॐ बुं बुधाय नमः"






प्रभाव:




बुद्धि और तर्कशक्ति में वृद्धि होती है।




व्यापार और शिक्षा में सफलता मिलती है।




संवाद कौशल और स्मरण शक्ति बढ़ती है।




त्वचा संबंधी रोगों से राहत मिलती है।






कब न पहनें?




यदि बुध अष्टम या द्वादश भाव में हो तो पन्ना धारण करने से बचें।






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5. गुरु की दशा में कौन सा रत्न धारण करें?




रत्न: पुखराज (Yellow Sapphire)




धातु: सोना




उंगली: तर्जनी (इंडेक्स फिंगर)




दिन: गुरुवार




मंत्र: "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः"






प्रभाव:




आध्यात्मिक उन्नति होती है।




धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।




विवाह और संतान से जुड़े मामलों में सुधार होता है।




शिक्षकों, सलाहकारों और धार्मिक कार्यों में सफलता मिलती है।






कब न पहनें?




यदि गुरु 6, 8, 12वें भाव में हो तो पुखराज धारण करने से बचें।






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6. शुक्र की दशा में कौन सा रत्न धारण करें?




रत्न: हीरा (Diamond) या ओपल (Opal)




धातु: चांदी या प्लैटिनम




उंगली: मध्यमा (मिडल फिंगर)




दिन: शुक्रवार




मंत्र: "ॐ शुक्राय नमः"






प्रभाव:




प्रेम और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।




सौंदर्य और कलात्मक गुणों में वृद्धि होती है।




आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।




शारीरिक आकर्षण और आत्मविश्वास बढ़ता है।






कब न पहनें?




यदि शुक्र कमजोर हो या छठे, आठवें, बारहवें भाव में हो तो हीरा न पहनें।






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7. शनि की दशा में कौन सा रत्न धारण करें?




रत्न: नीलम (Blue Sapphire)




धातु: लोहा या चांदी




उंगली: मध्यमा (मिडल फिंगर)




दिन: शनिवार




मंत्र: "ॐ शं शनैश्चराय नमः"






प्रभाव:




करियर और नौकरी में स्थिरता आती है।




रोग, शत्रु और कर्ज से मुक्ति मिलती है।




मानसिक और भावनात्मक संतुलन मिलता है।




दुर्घटनाओं और विपत्तियों से बचाव होता है।






कब न पहनें?




नीलम को पहनने से पहले तीन दिन तक टेस्ट करना चाहिए, क्योंकि यह तुरंत असर दिखाता है और सभी के लिए अनुकूल नहीं होता।






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8. राहु और केतु की दशा में कौन सा रत्न धारण करें?




राहु की दशा में: गोमेद (Hessonite Garnet)





केतु की दशा में: लहसुनिया (Cat’s Eye)






ये दोनों ग्रह छायाग्रह हैं और इनका प्रभाव रहस्यमयी होता है। इन रत्नों को किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श करके ही पहनना चाहिए।






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निष्कर्ष:




कन्या राशि के जातकों को अपने ग्र


हों की स्थिति के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए। रत्न पहनने से पहले कुंडली का विश्लेषण करना आवश्यक है, क्योंकि गलत रत्न पहनने से नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। सही रत्न धारण करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं और सफलता प्राप्त हो सकती है।


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