वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार पर रखी जाने वाली वस्तुएं
पूजा कक्ष के लिए वास्तु
लिविंग एरिया और फर्नीचर के लिए वास्तु निर्देश
नए घर के लिविंग रूम के लिए वास्तु अनुसार रंग
नए घर के लिए वास्तु के अनुसार बेडरूम की दिशा
बेडरूम के लिए वास्तु टिप्स
वास्तु अनुसार रसोई का स्थान
वास्तु के अनुकूल हो किचन के उपकरण
वास्तु के अनुसार नए घर में बच्चों का बेडरूम
ध्यान कक्ष के लिए वास्तु
वास्तु के अनुसार कमरों का आकार
नए घर में वास्तु अनुसार हो रोशनी की उचित व्यवस्था
वास्तु के अनुसार सभी कमरों के लिए रंग
वास्तु अनुसार उपयुक्त रंग
घर में वास्तु अनुसार प्रवेश का शुभ मुहूर्त
नए घर के लिए कुछ विशेष वास्तु टिप्स>
वास्तु शास्त्र का हमारे घर और जीवन में विशेष महत्व होता है। साथ ही किसी भी चीज को सही जगह और सही दिशा में रखने के वास्तु नियम बने हैं, जिनका पालन करके आप अपने जीवन में खुशियां ला सकते हैं। इसी के साथ जब भी किसी नए घर के निर्माण की बात आती है तो लोग वास्तु शास्त्र को महत्व देते हैं, क्योंकि वास्तु के अनुसार बना घर जातक के जीवन में सुख और समृद्धि के साथ शांति लाने का काम करता है। वैसे आपको बताते चलें कि बिल्डर वास्तु संगत बिल्डिंगों का निर्माण बिना वास्तु विशेषज्ञों की मदद के नहीं कर सकते। यही कारण है कि ज्यादातर लोग वास्तु के अनुरूप घर बनाने के लिए वास्तु विशेषज्ञों की मदद लेते हैं। अगर कोई बिल्डर द्वारा निर्मित घर लेना चाहता है, तो उसकी साज-सजाव वास्तु संगत कर घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-संपदा को आकर्षित कर सकते हैं।
आपको बता दें कि चार दीवार और छत से बने मकान को घर की संज्ञा नहीं दी जा सकती। एक मकान तब घर बनता है, जब उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस ऊर्जा को लाने में वास्तु शास्त्र आपकी मदद करता है। अगर आप ऐसे लोगों में शामिल हैं, जो वास्तु सिद्धांतों पर पूरा भरोसा करते हैं और नया मकान खरीदना चाहते हैं। ऐसे में आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिए घर। इसकी दिशा, इसमें इस्तेमाल होने वाले रंग, कैसा हो नए घर में फर्नीचर आदि से जुड़े सभी सवालों के जवाब। इन सवालों के जवाब पाकर आप आसानी से अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत कर सकते हैं।
नए घर के लिए वास्तु वास्तु शास्त्र टिप्स
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का निर्माण करने के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना चाहिए जो जातक के जीवन से नकारात्मकता को दूर करने का काम करते हैं।
घर में प्रवेश के लिए वास्तु दिशा
घर का मुख्य प्रवेश द्वार न केवल घरवालों के लिए प्रवेश बिंदु होता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और स्पंदन के लिए भी महत्पूर्ण माना जाता है। आपको बता दें कि घर का मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम में होना चाहिए, क्योंकि इन दिशाओं को वास्तु शास्त्र में बेहद शुभ और आदर्श दिशाएं मानी जाती हैं। वहीं दूसरी ओर घर का मुख्य द्वार को दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व (पूर्व की ओर) दिशाओं में बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि वास्तु अनुसार इन दिशाओं को शुभ नहीं माना जाता है।
जब बात घर के प्रवेश द्वार की होती है, तो उसके निर्माण को लेकर भी आपको सजग रहना चाहिए। वास्तु विशेषज्ञों की मानें तो प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए बेहतर गुणवत्ता वाली लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही मुख्य द्वार के बाहर पानी से जुड़ी कोई भी सजावटी सामान का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रवेश द्वार के बाहर जूते का रैक या कूड़ेदान नहीं रखना चाहिए। साथ ही प्रवेश द्वार के पास जानवरों की कोई मूर्ति या तस्वीर भी नहीं लगानी चाहिए। वास्तु में ऐसा किया जाना अच्छा नहीं माना जाता।
वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार पर रखी जाने वाली वस्तुएं
वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार पर ऐसी चीज़ें रखनी चाहिए, जिससे घर में सकारात्मकता का वास होता है।
माला : घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए पीपल, आम और अशोक के पत्तों की माला बनाकर घर के मुख्य दरवाजे में बांधना शुभ होता है।
देवी लक्ष्मी की तस्वीर : वास्तु के अनुसार घर के प्रवेश द्वार पर माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की तस्वीर लगानी चाहिए, इससे जातक को धन लाभ होता है।
लक्ष्मी जी के पद चिन्ह की तस्वीर : घर के मुख्य दरवाजे पर सिंदूर से मां लक्ष्मी के पद चिन्ह बनाने चाहिए, जिससे घर में सदा धन-दौलत और समृद्धि का आगमन होता है।
लिखवाएं शुभ लाभ : घर को नकारात्मकता और बुरी नजर से बचाने के लिए घर के मुख्य द्वारा के दोनों ओर शुभ-लाभ लिखना अच्छा माना गया है।
स्वास्तिक चिन्ह : हिंदू धर्म में स्वास्तिक चिन्ह को शुभ माना जाता है। हर शुभ और मांगलिक कार्यों में स्वास्तिक चिन्ह बनाकर पूजा-पाठ संपन्न किया जाता है। बता दें कि प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक का निशान बनाने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है।
पूजा कक्ष के लिए वास्तु
वास्तु शास्त्र में पूजा कक्ष के स्थान का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस जगह हम भगवान से प्रार्थना करते हैं और अपनी इच्छाओं को प्रकट करते हैं। पूजा कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है क्योंकि यह दिशा घर में रहने वाले सभी सदस्यों के जीवन में सौभाग्य लाने का काम करती है।
पूजा कक्ष के लिए ध्यान देने योग्य बातें
शौचालय के साथ वाली सटी दीवार पर मंदिर नहीं होना चाहिए। इससे प्रार्थना कक्ष दूषित हो सकता है।
ऊपरी मंजिल के शौचालय के नीचे प्रार्थना कक्ष नहीं बनाना चाहिए।
प्रार्थना कक्ष और शौचालय को एक-दूसरे के सामने नहीं बनवाना चाहिए। इससे पूजा कक्ष में नकारात्म्क ऊर्जा प्रवेश कर सकती है।
लकड़ी या संगमरमर से मंदिर बनवाएं। कांच या धातु से मंदिर बनवाने से बचें।
क्रिस्टल शंख को प्रार्थना कक्ष में रखना शुभ होता है।
पूरे परिवार को रोजाना पूजा करनी चाहिए। साथ ही अपने मंदिर को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा।
वास्तु के अनुसार ही मंदिर की दिशा रखनी चाहिए।
पूर्वजों या मृत व्यक्ति की मूर्ति या तस्वीर को मंदिर से दूर रखना चाहिए।
लिविंग एरिया और फर्नीचर के लिए वास्तु निर्देश
लिविंग रूम घर का वह स्थान है, जहां बाहर से आने के बाद आप सबसे पहले इस कमरे के अंदर अपना कदम रखते हैं। घर का यह हिस्सा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही यहां हम मेहमानों का स्वागत करते हैं और पूरा परिवार के साथ यहां पर समय बिताते हैं। वहीं लोग लिविंग रूम की सजावट पर काफी ध्यान देते हैं। इन दिनों वास्तु अनुसार लिविंग रूम की सजावट पर काफी ध्यान दिया जाने लगा है। दरअसल, वास्तु के अनुसार लिविंग रूम की साज-सज्जा करने से इसका सकारात्मक असर हमारे जीवन पर पड़ता है।
बता दें कि लिविंग रूम अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए। वास्तु के अनुसार नए घर में लिविंग रूम उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित होना चाहिए। इस कमरे में फर्नीचर की दिशा पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम होनी चाहिए। ऐसा करने से घर में कोई वास्तु दोष नहीं रह जाता है।
लिविंग रूम के लिए ध्यान देने योग्य बातें-
सभी इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण लिविंग रूम की दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने चाहिए।
अगर लिविंग रूम में शीशा है तो उसे उत्तर दिशा की दीवार पर ही लगाना चाहिए।
टीवी को लिविंग रूम के दक्षिण-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए।
नए घर के लिविंग रूम के लिए वास्तु अनुसार रंग
आपका लिविंग रूम आपकी जीवनशैली, रहन-सहन के बारे में बहुत कुछ बताता है। आपके बारे में लोगों की पहली राय आपके लिविंग रूम से ही स्थापित होती है। इसलिए जरूरी है कि लिविंग रूम में आप जो भी साज-सजावट कर रहे हैं, उसमें उसके रंगों का विशेष ध्यान दें। वास्तु के अनुसार, घर के प्रत्येक कमरे के लिए विशिष्ट रंग निर्धारित होते हैं जो सकारात्मक ऊर्जा को लाने का काम करते हैं।
वास्तु के अनुसार रंग विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को आकर्षित करने का काम करते हैं। वहीं गहरे रंगों का उपयोग करने से बचें और इसके बजाय सफेद, क्रीम या हल्के रंगों का चयन करें। आप लिविंग रूम के लिए नीले, हरे या पीले जैसे रंगों पर भी विचार कर सकते हैं।
नए घर के लिए वास्तु के अनुसार बेडरूम की दिशा
वास्तु के अनुसार बेडरूम का होना बहुत जरूरी होता है। सही दिशा में बेडरूम होने से इसका स्वास्थ्य और संंबंधों पर सकारात्मक असर पड़ता है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पूर्व दिशा स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है, जबकि दक्षिण-पूर्वी दिशा विवाहित दंपत्तियों के बीच झगड़े का कारण बन सकती है। इसके अलावा, अपने बेड को कमरे के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखाना चाहिए, जिसका सिर पश्चिम की ओर होना चाहिए।
बेडरूम के लिए निम्नलिखित वास्तु टिप्स
बेड के सामने शीशा या टेलीविजन नहीं होना चाहिए। विशषज्ञों की मानें तो अगर बिस्तर पर बैठकर शीशे पर आपका प्रतिबिंब दिखाई देगा, तो यह घरेलू झगड़ों का कारण बन सकता है।
बेडरूम की दीवारों को मटीले रंग में रंगना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रविष्ट करती है।
बेडरूम में पानी या फव्वारे की पेंटिंग लगाने से बचना चाहिए।
इसके अलावा अच्छा मूड करने के लिए रूम फ्रेशनर का इस्तेमाल करें। वास्तु के अनुसार यह आपका मन शांत रखने में अहम भूमिका निभाती है।
वास्तु के अनुसार बिस्तर (बेड) का आकार आयताकार या चौकोर होना चाहिए है। बिस्तर कभी गोल या अंडाकार नहीं होना चाहिए।
आपके डबल बेड पर दो सिंगल गद्दे के बजाय एक सिंगल (डबल साइज) गद्दा होना चाहिए। यह जातक के जीवन के लिए अच्छा माना जाता है
बेडरूम में इस्तेमाल किया जाने वाला बेड लकड़ी का बना होना चाहिए। स्टील का बेड नकरात्मक ऊर्जा को खींचता है।
वास्तु अनुसार रसोई का स्थान
वास्तु के अनुसार रसोई का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। घर में रहने वाले लोगों को सक्रिय रहने की ऊर्जा इसी स्थान से प्राप्त होती है। ऐसे में जरूरी है कि नए घर में रसोई बनवाते समय आप सजग रहें। साथ ही वास्तु के नियम का पालन अवश्य करें ताकि घर में नकारात्मक ऊर्जाओं को अंदर आने से बाधित किया जा सके। साथ ही घर में सकारात्मकता, स्वास्थ्य और समृद्धि को आकर्षित किया जा सके। आपको बतात चलें कि वास्तु पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु के पांच तत्वों के बीच पूर्ण संतुलन को स्थापित करने का काम करता है। इसलिए नए घर में किचन बनवाते समय वास्तु शास्त्र के नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार रसोई घर को दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना बेहतर होता है। जबकि रसोई बनवाने के लिए उत्तर, उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशाओं से बचना चाहिए। साथ ही रसोई में उपकरण भी दक्षिण-पूर्व दिशा में ही रखे जाने चाहिए।
वॉश बेसिन, पानी के पाइप और किचन ड्रेन के लिए उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा निर्धारित है क्योंकि पानी और आग विरोधी तत्व होते हैं, इसलिए किचन में वॉशबेसिन और कुकिंग गैस रखने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ऐसा करने से दुर्घटनाओं की आशंका में भी कमी आती है। इसके साथ ही रसोई में रखे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के रखने की दिशा भी वास्तु अनुसर सुनिश्चित होती है। इसमें अवन, माइक्रोवेव, जूसर आदि शामिल हैं। इन्हें क्रमश: दक्षिण पूर्व और दक्षिण दिशा में रखना चाहिए।
East - पूर्व | SE- दक्षिण पूर्व | South - दक्षिण | SW - दक्षिण पश्चिम | West - पश्चिम | Nw - उत्तर पश्चिम | North - उत्तर | NE- ईशान कोण
वास्तु अनुसार किचन के उपकरण
यह तो सब जानते ही हैं कि जिन उपकरणों का हम रसोई में उपयोग करते हैं वे अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे गैस स्टोव, माइक्रोवेव ओवन, टोस्टर और फूड प्रोसेसर। इसलिए इन यंत्रों को रखने के लिए दक्षिण-पूर्व कोना आदर्श स्थान माना जाता है।
याद रखें कि फ्रिज को दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही रखना चाहिए।
किचन स्टॉक दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना शुभ माना जाता है।
वास्तु के अनुसार नए घर में बच्चों का बेडरूम
वास्तु के अनुसार बच्चों के कमरे को नए घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में डिजाइन करना चाहिए। बच्चों को दक्षिण या पूर्व की ओर सिर करके सोना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों का सौभाग्य आकर्षित होता है और उनका मन शांत होता है।
ध्यान कक्ष के लिए वास्तु
वास्तु के अनुसार नए घर में ध्यान कक्ष होना चाहिए, जहां चैन और सुकून से आत्मनिरीक्षण कर सके और अपने आध्यात्मिक विकास के लिए उच्च शक्ति से जुड़ सके।
ध्यान कक्ष के लिए कुछ महत्पूर्ण वास्तु टिप्स
घर का पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा योग, ध्यान और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए सर्वोत्तम होता है।
ध्यान करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि इससे सकारात्मकता बढ़ती है।
इस कमरे को सफेद/हरे/हल्के पीले जैसे हल्के रंगों से रंगा जाना चाहिए।
वास्तु के अनुसार कमरों का आकार
वास्तु शास्त्र के नियमों को घर के सभी कमरों पर लागू किया जाता है। इसमें सिर्फ दिशा, रंग ही शामिल नहीं होते हैं। इसमें कमरों के आकार पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर के सभी कमरे सीधी रेखा में होने चाहिए और कमरों का आकार चौकोर या आयताकार ही होना चाहिए। किसी भी कमरे का आकार गोलाकार नहीं होना चाहिए। यहां तक कि घरों में गोलाकार फर्नीचर का उपयोग भी वास्तु में वर्जित है। इसे अनुपयुक्त माना जाता है।
वास्तु अनुसार नए घर में रोशनी की उचित व्यवस्था
जिन घरों में प्राकृतिक रोशनी नहीं आती है, वे घर सही नहीं होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने नए घर के सभी कमरों में रोशनी की उचित व्यवस्था करें। इसी तरह कमरों में वेंटिलेशन की व्यवस्था भी सही होनी चाहिए। वास्तु की मानें तो जिन नए घरों के लगभग सभी कमरों में उचित वेंटिलेशन और रोशनी की व्यवस्था होती है, ऐसे घरों में उन्नति की संभावना बहुत ज्यादा होती है। साथ ही ऐसा करने से घर में ऊर्जा के प्रवाह बना रहता है जो सकारात्मकता को बढ़ाती है।
वास्तु के अनुसार सभी कमरों के लिए रंग
वास्तु के अनुसार रंगों का बहुत गहरा महत्व होता है। घर के लिए वास्तु उन रंगों पर विशेष जोर देता है, जिनका उपयोग घर की साज-सजावट के लिए किया जाता है। इनमें गहरे रंगों के प्रयोग का सुझाव नहीं दिया जाता। इसके बजाय सकारात्मक वाइब्स का लाभ उठाने के लिए सफेद, पीले, गुलाबी, हरे, नारंगी, या नीले जैसे रंगों का चयन करें। मौजूदा नए घर के कमरे अनुसार कौन से रंग का उपयो गकरें और किनसे बचें।
वास्तु अनुसार घर में प्रवेश का शुभ मुहूर्त
जब एक बार घर पूर्णरूप से तैयार हो जाता है, तो वहां रहने से पहले जरूरी है शुभ मुहूर्त देखकर वहां पूजा करवाई जाती है। इसके लिए ज्योतिषीय द्वारा शुभ दिन और शुभ तिथि निकलवाई जाती है। साथ ही घर में निवास करने से पहले वास्तु शांति के लिए विधिवत शांति हवन कराया जाना चाहिए और शुभ मुहूर्त में ही गृह प्रवेश करना चाहिए। ऐसा करना घर और परिवार के लिए शुभ माना जाता है।
बता दें कि अगर शुभ समय में गृह प्रवेश किया जाए तो यह परिवार के लिए लाभदाय होता है जिससे नए घर में आने के बाद उनका जीवन सुखद हो जाता है। ऐसे मुहूर्त के लिए वसंत पंचमी, अक्षय तृतीया, गुड़ी पड़वा और दशहरा जैसे दिन शुभ माने गए हैं।
नए घर के लिए कुछ विशेष वास्तु टिप्स
साफ हवा और सूरज की रोशनी घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने का काम करती है इसलिए अगर आपके नए घर की खिड़की से रोशनी आती हो, तो रोजाना सुबह इसे कुछ देर के लिए जरूर खोलकर रखें।
वास्तु सिद्धांतों के अनुसार घर में कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं होना चाहिए जहां प्रकाश न हो।
अगर किसी जगह पर पर्याप्त प्राकृतिक धूप नहीं आती है, तो वहां पर्याप्त कृत्रिम रोशनी की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
एक्वेरियम को घर में रखना चाहिए। पालतू जीव और पानी की चलती हुई धारा घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश करवाती है। एक्वेरियम को अपने नए घर के उत्तर-पूर्व दिशा में रखना शुभ होता है।
मुख्य द्वार के सामने पेड़, खंभा लगाने से बचना चाहिए। इसलिए कोशिश करें कि आपका नया घर ऐसी किसी जगह ना हो, जिसके मुख्य द्वार पर पेड़ या खंभा बना हुआ हो।
घर के पास सूखे पेड़-पौधे रखने से बचें। ये मृत या अंत की ओर इशारा करती हैं। इससे नकरात्मक ऊर्जा आपके घर में प्रविष्ट कर घर में मौजूद सदस्यों का अनिष्ट कर सकती है।
अपने नए घर के किचन में कभी भी दवाइयां न रखें।
आराम करते समय घर के सभी इलेक्ट्रॉनिक्स और वाई-फाई ऑफ कर देने चाहिए।
सुबह के समय घर में धार्मिक संगीत या मंत्र बजाना चाहिए। इससे घर में शुभता आती है।
घर में ऐसी तस्वीरें लगाएं जो पॉजिटिव एनर्जी लाने का काम करती है। युद्ध, अकेलापन और गरीबी दिखाने वाले चित्रों को अपने नए घर में न लगाएं।
सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए प्रकृति से जुड़ी तस्वीरें घर में लगा सकते हैं।
घर में शांति लाने के लिए दीया या कपूर जलाना भी शुभ होता है।
इसके अलावा चंदन जैसी सुगंधित चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए।
एक बर्तन में कुछ तेज पत्ते जलाने से घर से नकारात्मक और बुरी नजर से छुटकारा मिलता है।
घर के प्रवेश द्वार पर कूड़ेदान रखने से बचें।
टूटे हुए बर्तन इस्तेमाल न करें क्योंकि वास्तु अनुसार इन्हें अशुभ माना जाता है।
ऐसी चीजों को फेंक देना चाहिए, जिनका आप लंबे समय से इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।
बेडरूम या फिर सीढ़ियों के नीचे पूजा घर नहीं बनवाना चाहिए।
मुख्य द्वार के पास घंटियां या फिर विंड चिम्स लटकाएं क्योंकि वास्तु शास्त्र के मुताबिक, इससे निकले संगीत स्वर आपके घर में वैभव और समृद्धि लाते हैं।
अगर आपके नए घर में जगह है, तो वहां गार्डन बनाने पर विचार किया जा सकता है। गार्डन आपको तरोजाना होने का अहसास कराता है। अगर गार्डनिंग की व्यवस्था मुश्किल है, तो अपने घर में इंडोर प्लांट जैसे मनी प्लांट, बैंबू के पौधे लगा सकते हैं।
घर के मुख्य द्वार का रंग काला नहीं होना चाहिए। इसके बजाएं आप मुख्य द्वार पर भूरे रंग का उपयोग कर सकते हैं।
लिविंग रूम में रखे सभी इलेक्ट्रिक उपकरण को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार फाउंटेन, गोल्डफिश या बहती नदी की पेंटिंग्स लगाने से सौभाग्य और वैभव आता है।
यदि आप विदेशों में करियर की संभावनाएं तलाश रहे हैं तो विदेशी मुद्रा, उड़ते पक्षी, रेसिंग बाइक्स और कारों की पेंटिंग्स घर में लगाएं।
मोर पंख सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं, वास्तु दोषों से मुक्त करते हैं और आपके घर में सकारात्मकता लाते हैं।
अगर आप धन चाहते हैं तो घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति और मोर पंख लगाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
लाफिंग बुद्धा घर से नेगेटिव वाइब्स को दूर करने में लाभकारी है। अगर घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर है तो वास्तु के अनुसार, लाफिंग बुद्धा की मूर्ति को पूर्व दिशा में रखें। वहीं दूसरी ओर मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व की ओर है, तो इसे उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें।
लकड़ी से बने कछुए को पूर्व या दक्षिण-पूर्व कोने में रखना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
घर के लिए कौन सा वास्तु अच्छा है?
घर के लिए वास्तु कहता है कि घर के प्रवेश द्वार के लिए ईशान कोण सबसे उपयुक्त दिशा है। बेडरूम के लिए यह दक्षिण-पश्चिम और किचन के लिए दक्षिण-पूर्व है। पूजा कक्ष के लिए यह घर का ईशान कोण होता है।
क्या वास्तु का जीवन पर प्रभाव पड़ता है?
हां, वास्तु शास्त्र हमारे जीवन का एक प्रमुख तत्व है। यह न केवल बड़ी समस्याओं को हल करने में मदद करता है बल्कि किसी के जीवन में समृद्धि के लिए भी माना जाता है।
क्या होता है जब वास्तु गलत होता है?
जब वास्तु गलत होगा तो आपका घर सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से प्रभावित होगा जो बदले में मानसिक समस्याओं, स्वास्थ्य समस्याओं, वित्तीय समस्याओं और यहां तक कि मृत्यु का कारण बनता है।
वास्तु शास्त्र के 5 तत्व क्या हैं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के लिए पांच तत्व वायु, जल, पृथ्वी, अंतरिक्ष और अग्नि हैं।
क्या वास्तु का असर किराएदारों पर भी पड़ेगा?
हां, अगर कोई घर के लिए वास्तु टिप्स का पालन नहीं करता है तो यह किराएदार के साथ-साथ घर के मालिक को भी प्रभावित कर सकता है।
फ्री जन्म कुंडली के लिए हमें संपर्क करें माता-पिता का पूरा नाम जन्मतिथि जन्म समय जन्म स्थान जैसे उदाहरण-------
1)माता का नाम.-------------------------------
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